Hindi Story : कालकोठरी का रहस्य
पुरानी हवेली की एक कोठरी सालों से बंद पड़ी थी। गांव वाले कहते थे कि वहां से हर अमावस की रात को अजीब सी आवाजें आती हैं। कोई रोता है, कोई चिल्लाता है... लेकिन किसी ने कभी उस कोठरी में झाँकने की हिम्मत नहीं की।
एक दिन, शहर से आया एक युवक आरव उस हवेली में रुका। उसे भूत-प्रेत की कहानियों में विश्वास नहीं था। उसने तय किया कि इस रहस्य से पर्दा उठाना ही होगा।
अमावस की रात, हाथ में टॉर्च और जेब में मां की दी हुई पूजा की माला लेकर आरव ने कोठरी का ताला तोड़ा। दरवाज़ा चरमरा कर खुला, और एक ठंडी हवा का झोंका उसके चेहरे से टकराया।
भीतर घना अंधेरा था। टॉर्च की रोशनी में उसने देखा—दीवारों पर खून के छींटे थे, ज़मीन पर ज़ंजीरें पड़ी थीं और कोने में एक बूढ़ा व्यक्ति बैठा कांप रहा था। जैसे ही आरव ने उसकी तरफ बढ़ने की कोशिश की, बूढ़ा आदमी हवा में गायब हो गया।
उसके बाद हवेली हिलने लगी, दीवारों से खून टपकने लगा और कोठरी का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।
अगली सुबह, गांव वालों ने हवेली का दरवाज़ा खुला पाया, लेकिन आरव का कोई अता-पता नहीं था—सिर्फ एक टॉर्च और वो माला ज़मीन पर पड़ी थी।
कहते हैं, उस दिन के बाद से हवेली में एक और आत्मा शामिल हो गई...

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